पर्यावरण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नया प्रारूप तटीय नियमन जोन (सीआरजेड) अधिसूचना, 2018 तैयार किया
पर्यावरण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नया प्रारूप तटीय नियमन जोन (सीआरजेड) अधिसूचना, 2018 तैयार किया है। प्रारूप अधिसूचना 18 अप्रैल, 2018 को मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दीगई है। प्रारूप अधिसूचना अपलोड किए जाने की तिथि से 60 दिनों के अंदर लोगों से टिप्पणियां देने को कहा गया है।
प्रारूप सीआरजेड अधिसूचना, 2018 की प्रमुख विशेषताएं तथा सीआरजेड अधिसूचना, 2011 के संबंध में परिवर्तन इस प्रकार हैं:-
(i) सतत तटीय प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय केन्द्र (एनसीएससीएम) द्वारा उच्च ज्वार रेखा (एचटीएल) का निर्धारण किया गया है और इसे सीआरजेड अधिसूचना, 2018 के अंतर्गत सभी नियामक उद्देश्यों के लिए एचटीएल के लिए सार्वभौमिक मानक समझा जाएगा।
(ii) सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा खतरनाक लाइन की मैपिंग शुरू की गई है, लेकिन जोखिम रेखा को सीआरजेड नियमन व्यवस्था से अलग कर दिया गया है और इसका इस्तेमाल आपदा प्रबंधन तथा खतरों को टालने की योजना के लिए एक उपाय के रूप में किया जाएगा।(iii) ज्वारीय प्रभावित जल स्रोतों से लगी जमीन पर सीआरजेड सीमा 100 मीटर या क्रीक की चौड़ाई, जो भी कम हो, 50 मीटर या क्रीक की चौड़ाई, जो भी कम हो, से कम करने का प्रस्ताव किया गया है।
(iv) मुख्य भूमि तट के नजदीक के सभी द्वीपों और मुख्य भूमि में सभी अप्रवाहीजल द्वीपों के लिए 20 मीटर की अ-विकास क्षेत्र (एनडीजेड) निर्धारित करने का प्रस्ताव किया गया है।(v) सीआरजेड-III क्षेत्रों के लिए दो अलग-अलग श्रेणियों का प्रस्ताव किया गया है यथाः
ए. सीआरजेड-IIIए – 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति वर्ग किलोमीटर 2161 आबादी सघनता के साथ अधिक आबादी वाले क्षेत्र। ऐसे क्षेत्र में एचटीएल से 50 मीटर एनडीजेड होगा। सीआरजेड अधिसूचना, 2011 में एचटीएल से 200 मीटर में एनडीजेड था।बी. सीआरजेड-IIIबी – 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति वर्ग किलोमीटर में 2161 से नीचे की आबादी सघनता के साथ ग्रामीण क्षेत्र। ऐसे क्षेत्रों में एचटीएल से 200 मीटर में एनडीजेड होगा।
मंत्रालय ने डॉ. शैलेश नायक की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है, जो तटवर्ती राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों तथा अन्य हितधारकों के विभिन्न विषयों और चिंताओं का अध्ययन करेगी और सीआरजेड अधिसूचना, 2011 में उचित परिवर्तनों की सिफारिश करेगी। डॉ. शैलेश नायक द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की समीक्षा मंत्रालय में की गई है और इस संबंध में विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया गया है।
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